जैसी करनी वैसी भरनी

वर्तमान समाज में ‘वृद्धाश्रम ‘ का होना मानव की उन्नति एवं संपन्नता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। दूसरों के साथ किया गया व्यवहार ही नई पीढ़ी में संस्कार रूप में विकसित होता है । आज इन्हीं ‘संस्कारों’ को दर्शाता नाटक ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ नौवीं तथा दसवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं द्वारा हिंदी अध्यापक श्री नरेश कुमार के मार्गदर्शन में संपन्न किया गया ।